ग्रामीण दर्शन को राष्ट्रीय पटल पर कविता के माध्यम से रखने का काम किया कवि धर्रीक्षन मिश्र- डॉ0 असीम कुमार राय
Garun News-कृष्णा यादव तमकुही राज/ कुशीनगर। कुशीनगर जनपद के सेवरही ब्लॉक स्थित ग्राम सभा कोईन्दी बरियारपुर मैं स्वर्गीय कवि धरीक्षन मिश्र की 125वीं जयंती पर कवि गोष्ठी एवं बौद्धिक का आयोजन गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो0 रामदेव शुक्ल की अध्यक्षता में कार्यक्रम की शुरुआत हुई कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रोफेसर रामदेव शुक्ल ने कहा कि कविता हमारी खोई हुई भाव को जगाता है। हरी भरी करके खोई हुई प्रतिभा को उजागर करता है ऐसे कवि थे कवि पंडित धरीक्षनन मिश्र जो विलक्षण प्रतिभा के धनी थे उनकी दूरदर्शिता उनके कविताओं में दिखती है उनका रहन-सहन सामाजिक कार्य गांधी और विवेकानंद की श्रेणी में उनका बैठता है। मुख्य अतिथि चितरंजन मिश्र ने कहा कि कई बार छोटे समाज के उत्थान के लिए जिंदगी भर प्रयत्न किया श्रम को कभी विशेष महत्व दिया गांधीवादी विचारधाराओं के अनुसार निरंतर कार्य करते रहे उनकी एक ही कविता राष्ट्रीय क्षितिज पर पहुंचा दी”
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डोली में रोवत जात कनिया:” महाकवि श्रेणी में डालती है। कविवर पंडित घरीक्षन मिश्र की 125 सी जयंती के अवसर पर उनके पैतृक निवास ग्राम कोईन्दी बरियारपुर में कवि गोष्ठी के आयोजन में उनकी प्रतिमा पर माला पहनाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई बड़े ही भावुक पल में तमकुही राज विधायक डॉ0 असीम कुमार राय कवि जी के कृतियों का व्याख्यान करते हुए महान पुरुष बताया। इस अवसर पर कवि जी के पौत्र दिनेश कुमार मिश्रा ने कवि जी की लिखी हुई कविता पढी। कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना से की गयी। इस अवसर पर प्रोफेसर रामदेव शुक्ल चितरंजन मिश्र सुधाकर त्रिपाठी जितेंद्र पांडे आदि लोगों ने कवि जी के जीवन पर पर प्रकाश डाला। विनम्र भाव से क्षेत्रीय कविराज नथुनी प्रसाद रसिया नंदलाल विद्रोही बृजेश दीपक सत्य प्रकाश आदि लोगों ने अपनी माटी की बोली में अपनी रचना को सुनाया। इस अवसर पर उमेश चौबे आकाश महेशपुर कांतापति कृष्णा चुलबुल वीरेंद्र राय विद्या प्रकाश मिश्रा संजय मिश्रा आदि लोगों ने भी भोजपुरी के लाल के प्रति श्रद्धा व्यक्त करते हुए अपनी रचना को प्रस्तुत किया। इस सभा में मुख्य रूप से सुनील मिश्रा जितेंद्र मिश्रा राजू मिश्रा रामेश्वर राय राघवेंद्र मिश्रा विद्या भास्कर मिश्र इत्यादि लोग उपस्थित रहे। स्वर्गीय कवि जी के पौत्र कैलाश नाथ मिश्र सदानंद मिश्र आए हुए सभी आगंतुकों का आभार व्यक्त किया
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