Garun News-कृष्णा यादव तमकुही राज/कुशीनगर उत्तर प्रदेश सोशल ऑडिट लखनऊ द्वारा हर वर्ष ग्राम सभाओं में मनरेगा योजनाओं की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सोशल ऑडिट कराए जाते हैं। इसी क्रम में इस वर्ष2025 में भी जिलाधिकारी की देखरेख में टीमों का गठन किया गया, लेकिन चयन प्रक्रिया को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।सुत्रों के अनुसार, इस बार भी विभागीय तालमेल और “सिस्टम सेटिंग” के चलते पहले से कार्यरत बीआरपी (ब्लॉक रिसोर्स पर्सन) को ही पुनः चयनित किया गया। इससे यह स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं कि चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं बरती गई और योग्य नए प्रतिभागियों को दरकिनार कर दिया गया।
ग्रामीण क्षेत्रों में एम आर आई मनरेगा (पंचायती राज संस्थाओं) के कार्यों की जांच करने वाले इन बीआरपी की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है, लेकिन पुराने लोगों को ही फिर से तैनात किए जाने से सोशल ऑडिट की निष्पक्षता पर सवाल खड़े हो गए हैं। लोगों का कहना है कि सोशल ऑडिट को एक “मजाक” बनाकर रख दिया गया है और यह भारत सरकार की पारदर्शिता की मंशा के खिलाफ है।
इसके साथ ही जानकारी मिली है कि डीसी मनरेगा चयन समिति द्वारा जिला और ब्लॉक सोशल ऑडिट अध्यक्षों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है और अपनी मनमर्जी से नियुक्तियां की गई हैं। अभ्यार्थियों नियुक्ति की जांच कर पुनः नए अभ्यर्थियों को भर्ती करने की चयन प्रक्रिया में मांग की है।
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