हज्‍जन शामिन खान दुनिया को अलविदा कह करके चली गयी—परिवार और समाज में ग़म का माहौल

हज्‍जन शामिन खान दुनिया को अलविदा कह करके चली गयी—परिवार और समाज में ग़म का माहौल

इनके दो बेटे डॉक्टर सरीब अहमद खान और दानिश अहमद खान और पति इंजीनियर को छोड़कर हमेशा हमेशा के लिए अपने पैतृक गांव की कब्रिस्तान में सुपुर्द ए खाक हुई

कृष्णणा यादव /तमकुहीराज कुशीनगर।
कुशीनगर के तरया सुजान पठानी टोला निवासी और पटना में वर्षों से रह रही हज्‍जन शामिन खान का शुक्रवार 18 जुलाई को इंतकाल हो गया। वे हाजी इंजीनियर वकील अहमद खान की पत्नी थीं। मरहूमा लंबे समय से बीमार चल रही थीं और पटना स्थित अपने आवास ‘शामिन हाउस’ में सुबह 9 बजकर 9 मिनट पर आखिरी सांस ली।

उनके इंतकाल की खबर से तरया सुजान कुशीनगर, पटना और जानने वालों के बीच ग़म की लहर दौड़ गई। जिन लोगों ने उन्हें करीब से जाना, वे बताते हैं कि हज्‍जन शामिन खान सिर्फ एक मां, पत्नी या घर की बुजुर्ग सदस्य नहीं थीं, बल्कि वे पूरे खानदान और समाज के लिए एक मिसाल थीं।

उनकी दी हुई परवरिश का ही नतीजा है कि उनके दोनों बेटे—डॉ. शारिब अहमद खान और दानिश अहमद खान—समाज के बीच एक बेहतर इंसान और मददगार के तौर पर जाने जाते हैं। परिवार के प्रति उनकी ईमानदारी और समाज के लिए उनकी सेवा भावना को मरहूमा की परवरिश से जोड़ कर देखा जाता है।

पति के लिए थीं मजबूत सहारा

परिवार के करीबी बताते हैं कि इंजीनियर वकील अहमद खान के लिए हज्‍जन शामिन खान सिर्फ जीवनसंगिनी नहीं थीं, बल्कि जीवन के हर उतार-चढ़ाव में कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाली साथी थीं। उन्होंने बच्चों की परवरिश से लेकर पूरे खानदान को जोड़े रखने में बड़ी भूमिका निभाई।

पुस्तैनी गांव में ही सुपुर्द-ए-ख़ाक

पटना में वर्षों तक रहने के बावजूद मरहूमा की वसीयत और परिवार की मंशा के अनुसार उन्हें उनके पैतृक गांव कुशीनगर के तरया सुजान स्थित पठानी टोला के निजी कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-ख़ाक किया गया। जनाज़े में सैकड़ों की संख्या में लोग शामिल हुए।

जनाज़े में मौजूद लोगों की आंखें नम थीं। घर की दीवारों से लेकर मोहल्ले की गलियों तक एक ही बात सुनाई दे रही थी—“शामिन आंटी जैसी महिलाएं अब कम मिलती हैं।

सय्यम और चालीसवां का एलान

मरहूमा के लिए तीसरे दिन की फातिहा (सय्यम) 20 जुलाई को उनके गांव के रियाज मंज़िल में सम्पन्न हुई। सुबह क़ुरानख़ानी और मिलाद शरीफ हुआ और दोपहर में दावत-ए-तबर्रुक का आयोजन हुआ।

परिवार के छोटे बेटे दानिश खान ने जानकारी दी कि चालीसवां (चालीसवें दिन की फातिहा) 27 अगस्त 2025 को रखा गया है। उन्होंने तमाम अजीजों, रिश्तेदारों और समाज के लोगों से दुआ की गुजारिश की है।

सियासत और सिनेमा जगत से भी शोक संदेश

मरहूमा के निधन पर समाज के तमाम लोगों के अलावा सियासी और फिल्मी हस्तियों ने भी गहरा शोक जताया।
पूर्व विधायक डॉ. पीके राय, प्रधान कृष्ण कुमार राय, परिवार के सदस्य मेराज अहमद खान, अज़ान खान, जहान खान, जावेद खान, जीशान खान, सोनू खान समेत कई स्थानीय और क्षेत्रीय नेताओं ने परिवार से मिलकर संवेदना प्रकट की।

बॉलीवुड के चर्चित अभिनेता पंकज त्रिपाठी और विकास कुमार ने भी इस दुखद घटना पर गहरा अफसोस जाहिर किया।
विकास कुमार ने कहा कि वे शामिन खान के परिवार से व्यक्तिगत रूप से जुड़े रहे हैं और इस दुख की घड़ी में पूरे परिवार के साथ हैं।

“एक युग का अंत”

इलाके के बुजुर्गों और समाज के लोगों ने कहा कि हज्‍जन शामिन खान के जाने से ऐसा लगता है जैसे एक युग का अंत हो गया हो। वे एक ऐसी महिला थीं, जो हमेशा दूसरों की मदद के लिए तत्पर रहती थीं और घर-परिवार को जोड़ कर रखती थीं।

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