नवरात्रि मे आदिशक्ति देवी कुटिया माई के दर्शन मात्र से पूरी होती है मनोकामनाएं

नवरात्रि मे आदिशक्ति देवी कुटिया माई के दर्शन मात्र से पूरी होती है मनोकामनाएं

रामनवमी के दिन यहां लगता है भव्य मेला राजा महेश्वर प्रताप शाही की सौजन्य से होता है रामलीला का आयोजन

Garun News-कृष्णा यादव तमकुही राज /कुशीनगर। तमकुही राज से सटे नेशनल हाईवे से दक्षिण हरिहरपुर ग्राम सभा स्थित मुसहर बस्ती के पास माता कुटिया माई का स्थान झरही नदी के तट पर विराजमान है माता के मंदिर के पास विशाल पीपल का बट वृक्ष स्थित है, जहां माता निवास करती हैं ।चैतराम नवमी में नवरात्र के प्रथम दिन से पूजा पाठ शुरू होता है तथा रामनवमी की दिन यहां भव्य मेला का आयोजन प्रतिवर्ष होता है इस मेले में मंदिर के उत्तराधिकारी तमकुही राज दरबार शुरू से ही देखभाल करते आ रहा है पुजारी बाबा रामदेव मिस्र के निधन के बाद यहां के पुजारी के रूप में राज दरबार के द्वारा बुचन दास को मुख्य पुजारी बनाया गया है। प्रतिवर्ष मंदिर के संरक्षक तमकुही राज दरबार के राजा महेश्वर प्रताप शाही द्वारा रामलीला का मंचन कराया जाता है जहां पर रात्रि में भारी भीड़ दर्शक के रूप में उपस्थित होकर रामलीला का आनंद लेते हैं माता के दरबार में हमेशा लोगों का आना-जाना लगा रहता है मान्यता है कि जो लोग भी माता के दरबार में आए और मांगे उनकी मुरादे माता ने पूरी की है

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राज दरबार के समय से स्वर्गीय राजा फतेह बहादु शाही के
समय से मंदिर की देखभाल और पूजा पाठ का कार्यक्रम चलता आया है। मंदिर के पास एक बहुत बड़ा बगीचा है जो राजा के द्वारा स्थापित किया गया था आज भी शोभा बढ़ा रहा है इस मंदिर के लिए भारत सरकार के द्वारा जिर्णोद्वार एवं विकास के नाम पर पर्यटन विभाग के द्वारा कुछ वर्ष पहले स्वीकृति प्रदान की गई थी मंदिर का सर्वे एवं आवश्यक जांच पड़ताल भी हो चुका था परंतु मुख्य पुजारी बाबा रामदेव के निधन के बाद इस मंदिर का जिर्णैद्वार एवं विकास ठफ रह गया राष्ट्रीय राजमार्ग 28 से मंदिर तक पूर्व ब्लाक प्रमुख डॉ उदय नारायण गुप्ता द्वारा खड़ंजा सडक बनवाया गया था जो आज टूट कर जगह-जगह बिखर गया है हरिहरपुर ग्राम सभा नगर पंचायत तमकुही राज में विलीन हो गई परंतु इस सड़क का निर्माण कार्य अब तक नहीं हो पाया है। मंदिर से मात्र 100 गज की दूरी पर मुसहर समाज की आबादी बसती है मुसर समाज के लोग भी माता दुर्गा की पूजा पाठ करते चले आ रहे हैं तथा इनको अपनी कुलदेवी के रूप में मानते हैं यहाँ एक विशाल जंगल था चारों तरफ से घने जंगलों के बीच राजा के जमाने में माता का मंदिर था जो आज भव्य रूप प्रदान करते हुए इस मुकाम पर पहुंचा है कि पर्यटन विभाग के द्वारा इस स्थान का विकास अगर किया जाए तो झरही नदी के किनारे बसा यह मंदिर पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षण का केंद्र होगा। माता रानी की कृपा से बरसों पुराने समय से बसा हुआ यह माता कुटिया माई स्थान का मंदिर आज आज भी लोगों के आकर्षण का केंद्र है जहां चैत रामनवमी में मेला सहित यहां विभिन्न प्रकार की दुकानें सजती हैं दूर दराज से ग्रामीण रामनवमी मेला के दिन माता का दर्शन करके मेला का आनंद लेते हैं यहां तमकुही राज थाना प्रशासन के द्वारा मेले में चुस्त दुरुस्त व्यवस्था करके मेले के निगरानी की जाती है आने वाले समय में सरकार थोड़ा सा इस पर ध्यान दे दे तो यह राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़ा हुआ जगह पर्यटन को बढ़ावा देगा तथा सुंदरता भव्य प्रदान करते हुए रमणीय स्थान के रूप में परिवर्तित होकर हर व्यक्ति को सुखमय आनंद प्रदान करेगा। पर्यटन विभाग के अधिकारियों एवं उत्तर प्रदेश सरकार का ध्यान आकृष्ट करते हुए एक बार अवश्य इस स्थान पर पधारने की विनती की गई हैकि इस आदि शक्ति देवी कुटिया माई के स्थान का सांस्कृतिक धरोहर के रूप में विकास हो सके तथा सनातन परंपरा कायम रहे।

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