क्षत्रिय समाज ने राणा सांगा की मनाई गई जयंती
कृष्णा यादव/ तमकुही राज कुशीनगर
नगरपंचायत सेवरही ब्रह्मदेव वार्ड में महान शासक राणा सांगा की मनाई गई जयंती।
पूर्व प्रधान संतोष सिंह उर्फ खोखा सिंह ने विस्तार से चर्चा करते हुए बताया कि “महाराणा संग्राम सिंह, महाराणा कुंभा के बाद,सबसे प्रसिद्ध महाराजा थे।मेवाड़ में सबसे महत्वपूर्ण शासक।इन्होंने अपनी शक्ति के बल पर मेवाड़ साम्राज्य का विस्तार किया और उसके तहत राजपूताना के सभी राजाओं को संगठित किया।राणा रायमल की मृत्यु के बाद,1509 में,राणा सांगा मेवाड़ के महाराणा बन गए।राणा सांगा ने अन्य राजपूत सरदारों के साथ सत्ता का आयोजन किया।
राणा सांगा ने मेवाड़ में 1509 से 1528 तक शासन किया,जो आज भारत के राजस्थान प्रदेश में स्थित है।राणा सांगा ने विदेशी आक्रमणकारियों के विरुद्ध सभी राजपूतों को एक किया।राणा सांगा सही मायनों में एक वीर योद्धा व शासक थे जो अपनी वीरता और उदारता के लिये प्रसिद्ध हुए।
इन्होंने दिल्ली,गुजरात,व मालवा मुगल बादशाहों के आक्रमणों से अपने राज्य की ऱक्षा की।उस समय के वह सबसे शक्तिशाली राजा थे।
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फरवरी 1527 ई. में खानवा केे युद्ध से पूर्व बयाना केे युद्ध में राणा सांगा ने मुगल सम्राट बाबर की सेना को परास्त कर बयाना का किला जीता | खानवा की लड़ाई में हसन खां मेवाती राणाजी के सेनापति थे।युद्ध में राणा सांगा केे कहने पर राजपूत राजाओं ने पाती पेेरवन परम्परा का निर्वाहन किया।बयाना के युद्ध के पश्चात् 16 मार्च,1527 ई. में खानवा के मैैैदान में राणा साांगा घायल हो गए।ऐसी अवस्था में राणा सांगा जी को युद्ध मैैदान से बाहर निकलना पडा। और उनकी जगह उनके परम मित्र राज राणा अजजा झाला ने ली ।उन्होंने अपनी वीरता से दूसरों को प्रेरित किया।इनके शासनकाल में मेवाड़ अपनी समृद्धि की सर्वोच्च ऊँचाई पर था।एक धर्मपरनय राजा की तरह इन्होंने अपने राज्य की रक्षा तथा उन्नति की।राणा सांगा इतने वीर थे की एक भुजा,एक आँख,एक टांग खोने व अनगिनत ज़ख्मों के बावजूद उन्होंने अपना महान पराक्रम नहीं खोया।
इस दौरान करणी सेना के युवा जिलाध्यक्ष अनुराग सिंह,अमित सिंह,मनोज सिंह, बब्बलु सिंह, उज्जवल सिंह,शिक्षक अशोक सिंह, एडवोकेट विकास सिंह,गोलू सिंह, पिन्टु सिंह,आदि ने उनके वीरता पर अपना उद्वोधन देते हुए उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें याद किया।
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