आइये जानते हैं कुछ खास औषधियों के विषय में जो है तो हम सबके आस -पास, लेकिन आप उसका उपयोग नहीं जानते

वैध शक्ति पाण्डेय : garun news. आइये जानते हैं कुछ खास औषधियों के विषय में जो है तो आपके आस पास ही लेकिन आप उसका उपयोग नहीं करते हैं जानकारी के अभाव में

“मैं वैद्य शक्ति पांडेय आपको बेहद प्रभावी औषधियों के विषय में विस्तार से बताने जा रहा हूँ, मित्रों पीपल के पेड़ की खास अहमियत है। यह हिंदू धर्म में सभी वृक्षों में सर्वोपरि है।आयुर्वेद में भी इसका बहुत महत्व है।”

इसके प्रमुख उपयोग है।इसके पत्तों का काढ़ा बनाकर प्रति दिन पीने से हृदय रोगों में बहुत लाभ होता है। दिल की कमजोरी दूर होती है, बेड केलोस्ट्रोल यकृत बहिकाओं से हटते हैं, इसलिए वॉल्व भी ठीक होते हैं. इससे शरीर की सूजन, पैरों की सूजन, वेरिकोस वैन में भी बहुत लाभ होता है।

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इसकी छाल को पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर पीने से गठिया में बहुत लाभ होता है क्योंकि यह किडनी की क्रियाविधि को सुधारकर यूरिक एसिड आदि घातक तत्वों को शरीर से बाहर निकाल देता है।

इसकी छाल से तैयार काढ़ा किडनी के रोगों में भी लाभदायक है।चर्म रोगों में भी यह काढ़ा बहुत फायदेमंद साबित होता है।

पपीता

पपीता के पत्तों की आज के समय में बहुत डिमांड है. हर कंपनी इसके पत्तों के रस निकालकर बेच रही है क्योंकि यह प्लेटलेट्स की संख्या को बड़ी तेजी से बढ़ाता है, इसलिए यह जानलेवा डेंगू में बहुत उपयोगी है. इसके पत्तों के रस को डेंगू के रोगी को पिलाने से बहुत लाभ होता है।पपीता का फल खाने से पाचन संबंधी समस्या खत्म होती है. कब्ज में यह बहुत लाभ करता है।पपीता के सूखे बीज आंतों से विष को निकालते हैं और यह अपेंडिसाइटिस में बेहद उपयोगी है।कच्चे फलों से निकाला गया रस ट्यूमर और कैंसर में लाभदायक है।

अर्क

अर्क या अकव्वा/आंकड़ा बेहद ही उपयोगी औषधि है. आयुर्वेद में इसे जड़ी-बूटियों का पारद कहा जाता है।इसकी जड़ की छाल ट्यूमर, सिस्ट, एब्सेस और सभी घावों में बेहद लाभ पहुंचाती है. इसे केवल एक चुटकी मात्रा में शहद के साथ लिया जाता है।

इसके पत्तों को गरम करके एड़ी पर बांधने से एडिय़ों का दर्द ठीक हो जाता है. इसके पत्तों से निकलने वाले दूध को चुभे हुए कांटे या अन्य कोई वस्तु जैसे कांच आदि पर लगाने से वह स्वतः बाहर निकल आती है।

इसके फूल की पंखुडिय़ों को निकालकर बचे हुए भाग को पान में रखकर चूसने से पीलिया और अन्य यकृत रोगों में बहुत आराम मिलता है।

अनार

अनार स्वादिष्ट फल है. इसे विशेषकर खून की कमी के रोगी को खाने की सलाह दी जाती है। इसके फल की छाल खूनी बवासीर या अन्य रक्त बहने वाले रोगों में लाभ पहुंचाती है। इसके पत्तों के रस को हथेली और तलवों की जलन में लगाने से बहुत लाभ होता है।टायफॉइड और डेंगू में उसकी पत्तियों का काढ़ा बहुत लाभदायक होता है।

पुनर्नवा

इस हर्ब का नाम ही इसका महत्व बताता है कि यह शरीर को फिर से नया कर देती है. इससे चूर्ण या काढ़ा बनाते हैं। किडनी के रोगों की यह बेजोड़ दवाई है। पथरी को निकालने में यह मददगार है। यकृत/जिगर/लिवर के सभी रोगों में बेहद असरकारक है। एनीमिया में भी यह बहुत असरकारी है।

कचनार

यह अक्सर बगीचों में लगा होता है. यह बेहद खूबसूरत पौधा बहुत काम का है. इसकी पत्तियों का आकार थायरॉइड से बहुत मिलता है इसलिए थायरॉइड की समस्या में यह बेहद उपयोगी औषधि है और थायरॉइड के लिए बनाई जाने वाली सभी दवाओं में इसे डाला जाता है. इसकी पत्ती और छाल विशेष उपयोगी होती है जिनका चूर्ण या काढ़ा प्रयोग किया जाता है. विभिन्न प्रकार के ट्यूमर्स में भी इसकी छाल और पत्तियों का चूर्ण लाभदायक है।

भुई आंवला

इसके फल आंवले के आकार के होते हैं और यह एक छोटा पौधा होता है इसलिए इसे भुई आंवला कहा जाता है. यह बगीचों में या सड़क के किनारे नमी वाली जगह पर पाया जाता है। यकृत के लिए यह अमृत है. इसके पौधे को साफ करके ऐसे ही खाया जा सकता है।

इसे खाने के कुछ ही देर बाद व्यक्ति को भूख लगने लगती है, इसलिए भूख न लगने की समस्या में यह बहुत लाभदायक है।पेशाब के इंफेक्शन में यह बहुत लाभदायक है।वायरल इन्फेक्शन में यह एक बेजोड़ दवाई है.इम्युनिटी बढ़ाने में यह बेहद मददगार है।

बेल

बिल्व या बेल शिवजी का प्रिय फल है और इसे हिंदू धर्मावलंबी पूजा में प्रयोग भी करते हैं। बवासीर में इसकी पत्तियों का चूर्ण अमृत है। इसके पके फल का शर्बत पाचनतंत्र के लिए लाभदायक औषधि है।इसके फलों का मुरब्बा पेट के लिए बहुत फायदेमंद है।

धतूरा

धतूरा वह अमृत है जिसे हम जहर समझकर नजरअंदाज कर देते हैं या डर जाते हैं। हिंदू धर्म के आराध्य शिवजी का यह बेहद प्रिय है।इसकी पत्तियों को पानी मे उबालकर उस पानी से सिर धोने से जुएं नही पड़तीं।इसी पानी से दर्द और सूजन वाली जगह पर सिकाई करने से आराम मिलता है।इसके पूरे पौधे को लेकर उसे सरसों के तेल में पका लें और उस तेल से जोड़ों की मालिश करने से जोड़ों का दर्द कम होता है ।

अपामार्ग

मेरी यह सबसे पसंदीदा दवाई है। मुझे इससे प्रेम है क्योंकि यह मानवता के लिए ईश्वर का अद्भुत वरदान है. इसके अनेक चिकित्सा उपयोग हैं।बिच्छू के काट लेने पर दंश स्थान पर इसकी पत्तियों का रस लगाकर इसकी जड़ को घिसने से कुछ ही सेकंड में आराम मिल जाता है।थायरॉइड की समस्या में इसकी पत्तियों का चूर्ण बहुत लाभ पहुंचाता है।

सूजन(शोथ) में इसकी पत्तियों का लेप अद्भुत है।अस्थमा में इसकी जड़ का चूर्ण सुबह खाली पेट लेने से शानदार परिणाम मिलते हैं।जड़ का चूर्ण या काढ़ा पथरी के लिए सटीक दवाई है।

इसके बीज खूनी बवासीर-माहवारी में अधिक रक्त आने की परम औषधि है. इसके बीज की दूध में बनाई खीर खाने से बहुत ज्यादा भूख लगने की समस्या दूर हो जाती है। मोटापे में इसकी पत्तियों का चूर्ण बहुत लाभदायक है, विशेष रूप से महिलाओं में बढ़ा हुआ मोटापन।

धन्वंतरि औषद्यालय, तमकुहीराज, जनपद-कुशीनगर, यूपी मोबाइल नंबर 8299652357.

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