बाबू गेंदा सिंह के जयंती के अवसर पर श्रद्धा सुमन के साथ विशेष
किसानों के मसीहा माने जाते थे बाबू गेंदा सिंह आजादी की लड़ाई में अंग्रेजों से कई बार हुआ आमना-सामना
विधायक सांसद मंत्री तक का सफर करते हुए किसानों के मसीहा इस दुनिया को अलविदा कह के चले गए
कृष्णा यादव, तमकुहीराज/ कुशीनगर। देश के आजादी में अपना योगदान देने वाले तमकुही राज के लाल स्वर्गीय बाबू गेंदा सिंह का नाम किसानो के मसीहा के रूप में जाना जाता है।इनकी लोकप्रियता को लेकर पश्चिम के किसान इन्हें “गन्ना सिंह” के नाम से पुकारते थे।
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इनका जन्म 13 नवंबर वर्ष 1908 को ग्राम दुमही बरवा राजापाकड़ में हुआ था। इन्होने शिक्षा- दीक्षा उच्चस्तर पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय से प्राप्त किए थे। शुरू से ही देश प्रेम का जज्बा इनके रोम- रोम में भरा हुआ था।
आजादी के पहले ही राजनीति के आंदोलन में कुद पड़े थे। वर्ष 1952 तथा 1957 में विधायक चुने गए। तत्कालीन सरकार के मुख्यमंत्री स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह के कार्यकाल में इन्हें कृषि मंत्री का दर्जा प्राप्त हुआ था। शुरू में सोशलिस्ट पार्टी का राजनीति शुरू किया। बाद में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी में चले गए।
वर्ष 1969- 70 में किसानों के आंदोलन को लेकर सरकार से ठन गई। बाद में इन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। 1971 में लोकसभा का चुनाव लड़े और सांसद बन गए। केंद्र में इन्हें कृषि मंत्री बनाने की चर्चा चल रही थी कि तभी उनको लकवा मार दिया। जिससे वह शिथिल होते चले गए। उस स्थिति में भी उन्होंने सरकार से कहकर गन्ना प्रजनन एवं अनुसंधान केंद्र बभनौली में स्थापित कराया था । उस समय यह संस्थान देश का दूसरा संस्थान माना जाता था। 15 नवंबर 1977 को लखनऊ के बलरामपुर हॉस्पिटल में उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री का निधन हो गया। वह सबको छोड़कर अंतर ज्ञान आत्मा में चले गए।
स्वर्गीय बाबू गेंदा सिंह की योगदान को आज भी राजनीतिक दृष्टिकोण से सामाजिक स्तर पर प्रतिवर्ष याद करके उनके किए गए कार्यों की चर्चा करते हुए उनके मार्गदर्शन पर चलने की युवा पीढ़ी को प्रतिवर्ष सलाह एवं उत्साहवर्धन किया जाता है।
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