हजरत की नमाजे जनाजा बाद नमाजे अस्त्र जामा मस्जिद पिपराकनक मे अदा हुई
Garun News-कृष्णा यादव तमकुही राज /कुशीनगर। स्थानीय जमा मस्जिद गौसिया इमदादुल उलूम तमकुहीराज मे 9 अप्रैल की सुबह जामा मस्जिद से ऐलान सुनकर तमकुही राज के लोगों में शोक की लहर दौड़ पड़ी। हर दिल अजीज नेक बंदे को तमकुही राज जमा मस्जिद में हमेशा हमेशा के लिए खो दिया। मौलाना की तरया सुजान रोड पर स्थित आवास पर दीदार के लिए लोगों की काफी भीड़ उम्र पड़ी, हर शख्स की आंखों में नीर झलकता हुआ एक दूसरे से अपनी साक्षा ब्बया कर रहा था।” जिंदगी तो बेवफा है एक दिन ठुकराएगी, मौत महबूबा है ,अपनी साथ लेकर जाएगी”। जिंदगी का यह फलसाफा एक आफाकी सच्चाई है। बुधवार की सुबह जब गम ज्यादा करने वाली खबर आई कि हर दिल अजीज इस्लामी मामलों की जानकार दमदार व प्रभावित तरीके से अपनी बात रखने वाले मौलाना आलम साहब नहीं रहे, ऐसा लगा कि तमकुही राज जमा मस्जिद में लोगों ने अपना एक गार्जियन को दिया है।
बुधवार के दिन यह खबर सुनकर लोगों में एक बार की यकीन नहीं हो रहा था वाकई वे खुद के नेक बन्दे थे साथ ही बड़े ही खुद्दार और बुलंद शख्सियत के मालिक भी थे वह जुम्मा ईद उल फितर ईद उल अजहा में माइक पर उनकी दमदार बुलंद आवाज को सुनने के लिए अब लोगों की दिल तरस जाएगी वैसा आवाज कम शख्सियत में दिखाई देता है अभी इसी साल तमकुही मदरसे से सरकारी अध्यापक के पद से रिटायर भी हुए थे, तरया मोड पर “कादरी दवाखाना” नाम से युनानी मेडिकल स्टोर भी था अपने मेहनत और कमाई के बल पर उन्होंने मदरसा से छुट्टी पाकर आम जन का इलाज दवा भी करते थे। मृदुल स्वभाव के धनी तामील शिक्षा में निपुण तमकुही राज मस्जिद में एक नया अवामाम पैदा करने वाले सबके दिलों में भाईचारा प्रेम मोहब्बत स्थापित करने वाले इस व्यक्ति की अंतिम विदाई उनके पैतृक गांव जामा मस्जिद पिपरा कनक मे जनाजे की नमाज पढ़ी गई तथा हमेशा हमेशा के लिए वह इस दुनिया को छोड़कर के अलविदा कह कर चले गए।