स्थानीय पुलिस प्राइवेट अस्पताल संचालक से पूछताछ में जुटी स्वास्थ्य विभाग के समक्ष उठ रहे सवालिया निशान नए जिला चिकित्सा अधिकारी के समक्ष तमकुही राज्य बना चुनौती
Garun News-कृष्णा यादव तमकुहीराज/ कुशीनगर। स्थानीय नगर पंचायत में संचालित दर्जनों प्राइवेट चिकित्सालय स्वास्थ्य विभाग के रहमो करम पर चल रहे हैं दूर दराज से मरीज को लेकर इनके रखे गए एजेंट लाते हैं तथा दाखिला कराने के बाद अपना शुल्क लेकर वापस चले जाते हैं। निजी अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर कुछ भी नहीं है गंभीर मरीज को भी निजी अस्पताल संचालक भर्ती करके सिर्फ पैसा अठन्नी में लगे हुए हैं। चाहे वह जच्चा बच्चा का मामला हो प्रसव पीड़ा से संबंधित महिलाओं का मामला हो या गंभीर बीमारी हो सब की शर्तिया गारंटी इलाज लेते हुए दवाई इलाज शुरू कर देते हैं मामला गंभीर हो जाने के बाद अपना पल्ला झाड़ने हुए अन्य अस्पतालों को भेज कर मामले का पटाछेप करने में लगे रहते हैं। रविवार के दिन तमकुही राज में एक निजी अस्पताल में अपने पिता को बिहार से लेकर आए बिहार प्रांत के कटेयां थाना के कल्याणपुर निवासी परीक्षण मंडल को उनका बेटा कमल मंडल रविवार को तमकुही राज नीजी अस्पताल में दाखिला कराया जहां पर लगातार 3 घंटे तक इलाज चलता रहा तीन घंटे के बाद ऑक्सीजन का बहाना बनाकर प्राइवेट अस्पताल के संचालक ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तमकुही राज भिजवा दिया।
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तथा प्राइवेट अस्पताल के लोग सरकारी अस्पताल में छोड़कर के मरीज को चले गए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के कार्यरत डॉक्टरों द्वारा इलाज शुरू किया गया तो बताया कि कुछ देर पहले उनकी मौत हो चुकी है। इस पर परिजन घबरा कर रोने लगे तथा वहां पर काफी भीड़ इकट्ठा हो गई सूचना मिलते ही तमकुही राज पुलिस चौकी प्रभारी संदीप सिंह मौके पर पहुंचकर शव को कब्जे में लेकर मृतक के लड़के से पूछताछ की कथा उसको लेकर प्राइवेट अस्पताल पर पहुंचे समाचार लिखे जाने तक पुलिस छानबीन की कार्रवाई में लगी हुई है मृतक का शव सरकारी अस्पताल में चादर से बेड पर ढका हुआ है।
बताते चलें कि तमकुही राज में कई घटनाएं पूर्व में घटित हो चुकी हैं जहां पर पैसे के लालच में प्राइवेट अस्पतालों में बच्चों की जान चली गई है कार्रवाई के नाम पर अब तक कुछ भी नहीं हुआ है नए मुख्य चिकित्सा अधिकारी जनपद कुशीनगर डॉ कल्पना रानी के समक्ष तमकुही राज प्राइवेट चिकित्सालय का मुद्दा एक ज्वलंत मुद्दा बना हुआ है जहां पर अप्रशिक्षित डॉक्टर कंपाउंडर बिना संसाधन के मरीज का इलाज कर रहे हैं गरीब मरीजों को पैसे के अभाव में दावा करने से मना करते हैं तथा मरीज सीरियस होने के बाद अगर उसका दम घुट गया तो अनंत अस्पतालों में भेजने की कार्रवाई यहां जारी है यह जिला चिकित्सालय चिकित्सा अधिकारी के समक्ष तमकुही राज की समस्या एक चुनौती बनी हुई है।
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