नगर पंचायत के द्वारा छठ घाटों की सफाई व पथ प्रकाश की व्यवस्था नगर पंचायत अध्यक्ष ने संभाली जिम्मेदारी
Garun News-कृष्णा यादव तमकुही राज/ कुशीनगर। बसंतिक नवरात्र के अवसर पर चैती छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान 1 अप्रैल 2025 से ही शुरू हो गया है अप्रैल के प्रथम दिवस पर छठवृति महिलाएं नहाए- खाए के साथ चार दिवसी व्रत अनुष्ठान की शुरुआत की गंगा स्नान कर सायंकाल प्रसाद बनाकर के ग्रहण करने के साथ ही व्रत की शुरुआत हुई ,2 अप्रैल को खरना का त्यौहार तथा इसके बाद 36 घंटे का अपने जिला उपवास शुरू होगा 3 अप्रैल को डूबते सूरज को अर्ध्य दिया जाएगा और 4 अप्रैल को उगते शुरू को अर्थ्य देकर व्रत समाप्त होगा। चैती छठ लोक आस्था का महापर्व है जो विशेष रूप से बिहार झारखंड उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। भगवान सूर्य और छठी मैया को समर्पित यह चार दिनों तक मनाया जाता है यह चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से सप्तमी तिथि तक पूरे श्रद्धा भाव के साथ मनाया जाता है। यह नेपाल के कुछ हिस्सों में भी मनाया जाता है चैती छठ चैत के महीने में ही मनाया जाता है और इसे भी उसी उत्साह के साथ मनाया जाता है जो नई फसल के मौसम के आगमन और सूर्य देव को श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार छठ पूजा के दौरान सूर्य देवता को समर्पित प्रार्थनाएं की जाती है पृथ्वी पर जीवन के आशीर्वाद के लिए आभार व्यक्त करने और व्यक्तिगत इच्छाओं की पूर्ति की कामना करने के लिए छठी मैया (छठ माता) प्रकृति के छठे रूप और सूर्य की बहन की पूजा इस त्यौहार के दौरान की जाती है।
चैत्र रामनवमी में चैती छठ का प्रचलन तमकुही राज में अर्सों से चला आ रहा है। 3 अप्रैल को आस्था के लोग पर्व के अवसर पर डूबते सूर्य को महिलाएं अर्थ देगी तथा 4 अप्रैल को उगते हुए सूर्य को अर्ध देकर अपनी व्रत पूरा करेंगे महिलाओं का यह कठिन व्रत है जो 36 घंटा निर्जला व्रत रखती हैं तथा सुबह भोर में ही छठ घाट पर छठी मैया का डाला लेकर गीत गाते बड़े उत्साह के साथ पहुंचती हैं। तमकुही राज में घाटों की सफाई तथा पथ प्रकाश की व्यवस्था नगर पंचायत अध्यक्ष जेपी गुप्ता ने संभाल रखी है घाटों की सफाई का कार्य पूर्ण कराया जा चुका है प्रकाश की व्यवस्था की जा रही है। घाटों पर शांति व्यवस्था स्थापित करने के लिए पुलिस फोर्स की भी आवश्यकता पड़ती है जिसको मध्य नजर रखते हुए सुरक्षा के दृष्टिकोण से सुरक्षा बल की भी आवश्यकता है तमकुही राज में यह पर्व बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।
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