फरियादियों को तहसील दिवस पर अपनी समस्या को कहने से रोके जाने की शिकायत पहली बार

फरियादियों को तहसील दिवस पर अपनी समस्या को कहने से रोके जाने की शिकायत पहली बार

हल्का लेखपाल कानूनगो अपने कमी को छुपाने के लिए फरियादियों को अधिकारियों तक पहुंचने पर बीच में ही रोक समस्या हल की दुहाई देते रहे

Garun News–कृष्णा यादव तमकुहीराज (कुशीनगर)। तहसील दिवस पर न्याय की आस लेकर पहुंचे फरियादियों को उस समय गहरा धक्का लगा जब उन्हें अपनी बात रखने का मौका तक नहीं मिला। तहसील तमकुहीराज में लेखपाल और कानूनगो की भूमिका पर गंभीर सवाल फरियादी उठा रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार, शनिवार के दिन तहसील समाधान दिवस के दौरान दो कानूनगो इस प्रकार तैनात थे कि फरियादी तहसील दिवस अधिकारी तक न पहुंच सकें। उनका प्रयास था कि कम से कम प्रार्थना पत्र रजिस्टर्ड हों ताकि “सब कुछ सामान्य” दिखाया जा सके। शासन के स्पष्ट निर्देश हैं कि अधिक से अधिक मामलों का निस्तारण इन दिवसों पर प्राथमिकता से किया जाए, लेकिन जमीनी हकीकत इससे उलट है।

यह भी पढ़ें: अंतर प्रांतीय सीमा पर स्थित तमकुही राज को अंतरराज्यीय परिवहन राजमार्ग से जोड़ने की विधायक का प्रयास सराहनीय

राजस्व विभाग के ये निचले स्तर के कर्मचारी न सिर्फ शिकायतकर्ताओं को रोकने प्रयास करते रहे, बल्कि तहसील दिवस की मूल भावना को भी नुकसान पहुँचा रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है — क्या यह आदेशों की अवहेलना है, या फिर अंदरूनी मिलीभगत का हिस्सा?

इस पूरे प्रकरण में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि मौके पर मौजूद जिम्मेदार अधिकारी — उपजिलाधिकारी न्यायिक रामबीर सिंह, तहसीलदार शशिकांत, बीडीओ तमकुही अनिल कुमार राय, बीडीओ दुदही रामराज कुशवाहा, और सीओ तमकुही अमित सक्सेना — पूरी स्थिति से वाक़िफ़ होने के बावजूद मौन दिखे।
एक फरियादी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि “हमें न तो आवेदन जमा करने दिया गया और न ही अधिकारियों से मिलने दिया गया। अगर यही हाल रहा तो फिर तहसील दिवस की जरूरत ही क्या है?”
तहसील दिवस की यह तस्वीर इस बात की तस्दीक करती है कि जब जिम्मेदार मौन हों और कर्मचारी बेलगाम, तो न्याय सिर्फ कागजों तक सीमित रह जाता है।

यह भी पढ़ें: जंग के उस पार बेटा, इस पार मां : दोनों की वीरता को सलाम : आयुष सिंह

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version