Garun News- कृष्णा यादव तमकुही राज /कुशीनगर।भारत-पाकिस्तान के बीच माहौल एक बार फिर बेचैन कर देने वाला है।सीमा पर तनाव है, गोलियों की आवाज़ें हैं,और अनकही दुआओं का शोर भी—जो हर मां अपने दिल में दबाए बैठी है।जबकि हम शहरों में चैन की सांस ले रहे हैं, हमारे जवान उन सांसों की कीमत अपनी जान पर लगा रहे हैं।हर वो सैनिक जो इस समय सरहद पर तैनात है, सिर्फ एक वर्दी नहीं,बल्कि एक सपनों से भरा इंसान भी है।किसी का बेटा है, किसी की ज़िन्दगी का सपना।लेकिन आज वो अपने सपनों से पहले देश की हिफाज़त को खड़ा है और उसके पीछे, चुपचाप,नज़रों से ओझल एक और योद्धा खड़ी है—उसकी मां।उस मां को देखिए जो अपने बच्चे को तिलक लगाकर विदा करती है,यह जानते हुए कि अगली मुलाकात का कोई वादा नहीं फिर भी उसकी आंखों में डर नहीं,बल्कि गर्व का सागर उमड़ता है।वो हर रोज़ मन ही मन लड़ती है—अफवाहों से,डर से, और उस ख़ामोशी से जो हर बार फोन की घंटी बजने पर दिल की धड़कनें तेज़ कर देती है।
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आज जब पूरा देश संवेदनशील मोड़ पर खड़ा है,तब हमारा भी कर्तव्य है कि हम सिर्फ तमाशबीन न बनें।सोशल मीडिया पर अफवाहों का हिस्सा न बनें।देशभक्ति सिर्फ तिरंगा लगाने या नारे लगाने से नहीं होती—बल्कि तब होती है जब हम सच्चाई के साथ खड़े रहते हैं,और उस मां की भावना की इज़्ज़त करते हैं जिसने अपने जिगर के टुकड़े को देश के नाम कर दिया।शायद हम उनके बलिदान का मोल कभी नहीं चुका सकते,लेकिन इतना ज़रूर कर सकते हैं कि उन्हें अकेला महसूस न होने दें।उनकी भावनाओं की कद्र करें,और अपने व्यवहार से ये साबित करें कि उनका बेटा अकेले नहीं लड़ रहा—पूरा देश उसके साथ खड़ा है।
क्योंकि जंग सिर्फ सीमा पर नहीं लड़ी जाती।वो हर उस दिल में लड़ी जाती है जो अपनों को खोने के डर के बावजूद, देश को पहले रखता है।
इसलिए आज,उस बेटे को भी सलाम जो बंदूक लेकर खड़ा है, और उस मां को भी जो आंसू पीकर मुस्कुरा रही है।जंग के उस पार बेटा, इस पार मां – दोनों की वीरता को सलाम।
उक्त बातें आयुष सिंह कुशीनगर जनपद के ग्राम दवनहा निवासी,मीडिया विद्यार्थी,माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय,ने कहीं।
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