डीपीडीपी कानून से पत्रकारों, सामाजिक संगठनों और नागरिकों में डर का माहौल

डीपीडीपी कानून से पत्रकारों, सामाजिक संगठनों और नागरिकों में डर का माहौल

आरटीआई को और मजबूत करने की जरूरत, दोधारी तलवार है डीपीडीपी कानून- डॉ मोहन तिवारी

Garun News-कृष्णा यादव तमकुहीराज /कुशीनगर
डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन कानून के तहत RTI में किए गए संशोधनों से पत्रकारों, सामाजिक संगठनों और नागरिकों में डर का माहौल बन गया है जिसके चलते चारो तरफ से वापस लेने की मांग तेज हो गई है। स्थानीय मठिया श्रीराम निवासी आरटीआई एक्टिविस्ट समाजसेवी डॉ मोहन तिवारी ने कहा की सूचना एवं रोजगार अधिकार अभियान की ओर से इस कानून की धारा 44(3) के तहत सूचना के अधिकार कानून में किए गए संशोधनों को तत्काल वापस लेने की जरूरत है।
उन्होंने कहा की ये संशोधन आरटीआई कानून को कमजोर कर रहे हैं। नागरिकों के मौलिक अधिकार पर गंभीर चोट कर रहे हैं, उन्होंने इस कानून के तहत RTI में किए गए संशोधनों को तुरंत वापस लेने की मांग की है। सामाजेवी डॉ मोहन तिवारी ने कहा की आरटीआई कानून की धारा 8 (1) (0) में संशोधन किया गया है। इसमें सभी निजी जानकारी को किसी को नहीं देने की छूट दी गई है, जबकि पहले सार्वजनिक गतिविधि या जनहित में इस प्रकार की जानकारी का खुलासा किया जा सकता था।
आगे श्री तिवारी ने कहा की इसी प्रकार आरटीआई कानून की धारा 8 (1) से वह प्रावधान भी हटा दिया गया है, जिसमें कहा गया था कि ‘जो जानकारी संसद या राज्य विधानसभा को नहीं रोकी जा सकती, उसे किसी भी व्यक्ति से नहीं रोका जाएगा’. इससे आरटीआई कानून कमजोर हुआ है. साथ ही RTI के माध्यम से महत्वपूर्ण सरकारी रिकॉर्ड तक पहुंच थी, उसे रोक दिया गया है। इससे सरकारी कामकाज में पारदर्शिता को गहरा आघात पहुंचा है. जनता की अधिकारियों को जवाबदेह ठहराने की क्षमता कमजोर होती है।

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समाजसेवी डॉ मोहन तिवारी ने कहा कि आरटीआई को और कमजोर किया जा रहा है। जबकि इसे और मजबूत करने की जरूरत है, ताकि लोकतंत्र की नींव बनी रहे है।उन्होंने कहा की डीपीडीपी कानून सामूहिक निगरानी और सामाजिक अंकेक्षण की प्रक्रिया को खत्म कर देगा, क्योंकि अब वह जानकारी ही उपलब्ध नहीं होगी. उन्होंने कहा कि आरटीआई का उपयोग केवल शिकायत निवारण या भ्रष्टाचार के एक मामले के लिए नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक भागीदारी और सभी मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए होता है. आरटीआई को संवैधानिक अधिकार के रूप में मान्यता दी जानी चाहिए।
दोधारी तलवार है डीपीडीपी कानून:उन्होंने यह भी कहा कि यह कानून वास्तव में गोपनीयता की रक्षा नहीं करता, बल्कि सरकारी नियंत्रण को मजबूत करेगा. यह कानून दोधारी तलवार है. एक ओर यह आरटीआई कानून में संशोधन कर जानकारी उपलब्ध कराने के अधिकार को रोकता है, दूसरी ओर डेटा संरक्षण बोर्ड के जरिए इसमें सरकार को ज्यादा शक्तियां मिलेंगी. यहां तक कि इसमें 250 करोड़ तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।

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